Best Krishna quotes in Hindi | Positive Krishna quotes on life

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दोस्तों स्वागत है हमारी वेबसाइट पर आज के आर्टिकल मे हम आपको Krishna quotes in Hindi बताने वाले है । अगर आप भगवान कृष्ण के सबसे बड़े भक्त है और आप उसके quotes को देखना चाहते है तो आप बिल्कुल सही जगह पर आये है। आज के आर्टिकल मे हम आपको 50 positive krishna quotes on life in hindi मे बतायेगे। 

Krishna quotes in Hindi

Krishna quotes in Hindi – Motivational Krishna quotes on life

1.वो दिन कभी मत दिखाना मुझे कृष्णा ,

की मुझे खुद पर घमंड हो जाए ,

रखना हमेशा अपने दिल में मुझे ,

की बस मेरा जीवन सफल हो जाए।

 

2.जो मुश्किलों में भी साथ दे दे वो उसका कर्म है ,

असत्य से बचकर ,सत्य पर टिके रहना ही धर्म है।

 

3.मनुष्य का सबसे बड़ा शत्रु उसका क्रोध ही होता है ,

यदि वो इसको संभाल न पाए तो वहीं उसका जीवन नष्ट होता है। 

 

4.यदि कोई मनुष्य अकेले चलने पर भरोसा रखता है ,

ज़िन्दगी में वही मनुष्य अक्सर सफल होता है।

 

5.मनुष्य की सोच और नियत अच्छी होनी चाहिए,

कार्य चाहे कोई भी हो उसको करने की क्षमता होनी चाहिए।

 

6.ज़िन्दगी की असली कीमत तो समय ही बताता है ,

और एक मनुष्य को बलवान भी समय ही बनाता है।

 

7.जो मनुष्य अपनी इन्द्रियों को वश में रखना जानता है ,

वही मनुष्य एक सही ज्ञान को अर्पित करना जानता है।

 

8.जो मनुष्य अपने अंदर सकारात्मक सोच रखता है,

वही मनुष्य अपने जीवन में खुशियां रखता है।

9.जो व्यक्ति परिस्थितियों के अनुसार खुद को बदल ले लेता है ,

वही व्यक्ति अपने जीवन को बुद्धिमानी से जी लेता है।

 

10.जीवन की सभी लड़ाईया इंसान को खुद ही लड़नी पड़ती है ,

और चाहे वो अपनों से हो या गैरों से उसे खुद ही लड़नी पड़ती है।

 

11.जो व्यक्ति कठिन परिस्थितियों में भी धैर्य बना लेता है ,

वही मनुष्य  ज़िन्दगी की हर रण को जीत लेता है।

 

12.विपत्ति आने पर जो मनुष्य बुद्धि का इस्तेमाल कर लेता है,

वही मनुष्य  ज़िन्दगी की हर रण को हासिल कर लेता है।

 

13.मनुष्य को कर्म करने की भावना होनी चाहिए ,

फल की चिंता कर मनुष्य को अपना समय नहीं खोना चाहिए।

 

14.समय के साथ मनुष्य को सब मिलता है ,

समय से पहले की चाह से उसको केवल दुःख मिलता है।

 

15.संसार में कभी किसी को भाग्य से अधिक नहीं मिलता ,

समय से पहले की चेष्टा से मनुष्य को कभी सुख नहीं मिलता।

 

16.मुझे चिंता नहीं अपनी उनको चिंता हमारी है,

मेरे प्राणों के रक्षक तो मेरे श्री कृष्ण मुरारी है।

मनुष्य को अपने धर्म के लिए लड़ना सीखना चाहिए,

 अधर्म करने वाले अपनों का भी त्याग करना सीखना चाहिए।

 

18.प्रेम का मतलब बंधन नहीं है ,

प्रेम तो बंधन मुक्त होना चाहिए,

जीवन चाहे कैसा भी हो ,

बस प्रेम अनंत होना चाहिए।  

 

19.सत्य तेल की बूंद जैसा ही है

चाहे वो कितने भी असत्य के पानी में हो हमेशा तैरता है।

 

20.इंसान का क्रोध उसकी बुद्धि को नष्ट कर देता है ,

मुँह से निकला हुआ अपशब्द हर किसी को कष्ट दे देता है।

 

21.जो है मेरे सारे दुखों को हरने वाला ,

वो है मेरा श्री कृष्ण मुरली वाला।

 

22.जीवन में कुछ भी पाने के लिए संघर्ष करना चाहिए,

और उस संघर्ष से हमे हर दिन कुछ नया सीखना चाहिए।

 

23.स्वार्थ में किया गया कर्म बुरा वक्त बन जाता है ,

वहीं अगर निस्वार्थ हो तो अच्छा वक्त बन जाता है।

 

24.व्यक्ति का जीवन धूप और छाँव जैसा है ,

यदि आज परेशानी है तो कल सुख भी आएगा ,

दुःख का निंदन करना कर्म नहीं है ,

आशा और चाह करने से दुख ही आएगा।

 

25.अच्छे लोगों की परीक्षा कृष्ण गोपाल लेते है मगर साथ नहीं छोड़ते,

बुरे लोगो को कृष्ण गोपाल बहुत कुछ देते है लेकिन साथ नहीं देते ,

 

26.बुरे वक्त में घबराउ नही,

मुश्किलों में कभी साथ छोड़ना नही,

अगर पड़ जाऊँ किसी मुश्किल में,

तो हे कृष्ण कभी मेरा साथ छोड़ना नही।

 

27.सफल हो जाएगा तेरा सारा जीवन, यदि कर लेगा कर्म अपना,

और निस्वार्थ भाव से कर्म करे, तो हो जाएगा हर सुख अपना।

 

28.रणभूमि में युद्ध देखकर डरना नहीं,

अपना कर्म कर हार या जीत का चिंतन करना नही।

 

29.खुशी में किया गया वादा, क्रोध में दी गयी वाणी कभी वापस नही आती,

इसी प्रकार जीवन में सुख और दुख की आंधी कभी नही जाती।

 

30.जीवन में न ही हार होनी चाहिए और न ही जीत होनी चाहिए,

बस अच्छा परिवार और मित्र का साथ होना चाहिए।

 

31.संदेह या शक इंसान को सुख नही दे सकता,

और बुरा कर्म कभी इंसान को अच्छा फल नही दे सकता।

 

32.संबंध भावो को समझने से मजबूत बनते है,

बड़ी बड़ी बातें करने से केवल मनुष्य के भाव बढ़ते है।

 

33.जैसे दीया में तेल खत्म होने पर वह बुझ जाता है,

उसी प्रकार कर्म यदि स्वार्थ से किया जाए तो भाग्य नष्ट हो जाता है।

 

34.कर्म का बीज इंसान खुद बोता है,

यदि वह स्वार्थ का हो तो मनुष्य अपना भाग्य खुद खोता है।

 

35.समय और स्थिति देख कर किसी का अपमान नही करना चाहिए,

 दोनो ही बदल सकते है इसलिए हमें केवल अपना कर्म करना चाहिए।

 

36.मनुष्य की पहचान भले ही चेहरे से होती है,

लेकिन उसका स्वभाव की पहचान उसकी वाणी से ही होती है।

 

37.मनुष्य अपने हुनर के अहंकार से ही गिरता है,

क्योंकि पानी में भी एक पत्थर अपने वजन के कारण ही डूबता है।

 

38.समस्या यदि आती है आपके जीवन में तो उसका अंत ज़रूर होगा,

यूँ चिंतन करने से किसी भी समस्या का हल कभी नही होगा।

 

39.बुद्धिमान मनुष्य हमेशा कल्याण के लिए कर्म करते है,

और अज्ञानी मनुष्य अपने लाभ के लिए कर्म करते है।

 

40.जीवन में खुद का सारथी बन हर महाभारत लड़ना पड़ता है,

और इस महाभारत में हम स्वयं ही कृष्ण और अर्जुन बनना पड़ता है।

 

41.व्यक्ति को कार्य लालच से, इर्षा से और अहंकार से नही करना चाहिए,

उसको वह कार्य प्रेम से, करुणा से और भक्ति से करना चाहिए।

 

42.कोई भी मनुष्य अपने विश्वास से शक्तिशाली हो जाता है ,

जैसा वो विश्वास रखता है वैसा ही वो हो जाता है।

 

43.किसी भी व्यक्ति को उसका मन ही उसको मजबूत बनाता है ,

यदि वो अपने मन को अपने वश में कर ले तो वह शक्तिशाली बनता है।

 

44.जो व्यक्ति अपनी इच्छाओं को त्याग कर कर्म ही करता है ,

वह व्यक्ति अपने हित में रहकर जग का कल्याण ही करता है।

 

45.एक व्यक्ति के जीवन में न कभी कुछ खोता है और न ही व्यर्थ होता है ,

केवल उसका मन और उसका समय ही जीवन का असली अर्थ देता है।

 

46.वासना , क्रोध और लालच ही व्यक्ति की बुद्धि को नष्ट कर देता है,

यदि वह ये सब छोड़ दे तो उसका मन बुद्धि को सर्वश्रेष्ठ कर देता है।

 

47.किसी भी कार्य को आनंद से करना चाहिए ,

दुखी मन से कोई भी कार्य सम्पन्न नहीं होता ,

चाहे वो अपना कार्य हो या किसी और का ,

वासना और लालच से वो कभी सम्पन्न नहीं होता।

 

48.यदि कोई व्यक्ति समझदारी से हो कर जीवन जीता है तो वह मृत्यु से डर कर नहीं रहता है ,

और अगर वह अपना जीवन बुद्धिहीन होकर जाता है तो वह जीवन भर मृत्यु से डर कर रहता है।

 

49.यदि कोई व्यक्ति आपके शब्दों को मान न दे तो मौन रहना ही बेहतर है ,

क्योंकी वह आपको कभी नहीं समझेगा इसलिए उसको छोड़ देना हे बेहतर है।  

 

50.व्यक्ति के पास ज्ञान होना चाहिए लेकिन अहंकार नहीं ,

उसके पास दया की भावना होनी चाहिए लेकिन कमज़ोरी नहीं।